ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!

हर एक हाल में एक अच्छाई छिपी होती है। भगवान की हर मर्ज़ी के पीछे एक सीख छिपी होती है। ज़रूरी है बस उस सीख को सीखना। इसी एहसास के साथ, मैंने ये कविता लिखी है। उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।

ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!

ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!

बाहर ना घूमकर घर पर रहना
कुछ नया बनाकर साथ मे खाना
अपनो के पास फिर  से बैठना याद दिया दिया,
ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!


मुश्किल समय मे घर की याद आना
अपने आँगन में ही खुद को सुरक्षित पाना
रोज़ी के लिए घर से दूर गए को वापस घर पहुँच दिया,
ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!


राहगीरों की मदद करना, सबको खाना देना
मिलों पैदल चलते भाइयों को सहारा देना
कहीं छाँव मिले तो बैठ गए, उनके दिल का हाल सुनना आज़मा लिया,
ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!


माता पिता को सुरक्षित रखना है
अपने बच्चे जैसा उनका भी ख्याल रखना है
जीवन मे अपनों के होने के महत्व को फिर दर्शा दिया,
ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!


नई तकनीक को सबको अपनाना है
पढ़ाई, लिखाई, दफ्तर का कार्य अब 'ऑनलाइन' ही करना है
हर पीढ़ी को कदम से कदम मिला चला दिया,
ऐ बीमारी तूने कितना कुछ सिखा दिया!


ठीक है आज हाथ नही मिलाते,
एक दूजे से मिलने नही जाते,
पर जब पास थे तब शायद साथ नही थे,
मिलते तो थे, पर दिल मे जज़्बात नही थे।

आज अंजानो के दुःख में हम दुःखी हैं,
किसी एक के जाने से सबकी आँखों मे नमी है।
तूने दूर नही हम सबको पास ला दिया,
सेहत सबसे ज़रूरी है ये पाठ पढ़ा दिया,
पूरे विश्व को समस्या से एक जुट हो लड़ना सिखा दिया,
दूरी बढ़ाकर पास होने का एहसास दिला दिया,
भागते हुए इस इंसान को रुकना सिखा दिया,
हर दिल को एक साथ धड़का दिया, हमको जीवन का मूल्य समझा दिया,
ऐ 'ज़िन्दगी' तूने कितना कुछ सिखा दिया!
ऐ 'ज़िन्दगी' तूने कितना कुछ सिखा दिया!


~निकिता सुवि

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